Thursday, 4 July 2013

‘न्यू कन्वर्जेंस’ मीडिया के लिए नया खतरा: पी साईनाथ



   
मीडिया को सब से बड़ा खतरा न्यू कन्वर्जेंस से है. जिस के तहत बड़े व्यापारिक घराने मीडिया समूह को खरीद रहे हैं और मीडिया समूह बिजनेस हाउसिस में बदल रहे हैं. बड़े राजनैतिक दल नए-नए अखबार और चैनल की शुरुआत कर रहे हैं. यानी अब मीडिया, कॉरर्पोरेट और राजनैतिक दलों के हित एक हो रहे हैं. यह ‘न्यू कनवर्जेन्स’ सब से खतरनाक है. क्योंकि कॉरर्पोरेट जगत को सृजनात्मकता अथार्त क्रेटीविटी से कोई मतलब नहीं. उनका मुख्य उद्देश्य केवल प्राफिट है. पेड न्यूज, प्राइवेट ट्रीटी (निजी समझौते) जैसी प्रवृतियों पहले ही मीडिया की साख को कम कर चुकी हैं.
ये बातें वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने भोपाल की संस्था विकास संवाद द्वारा होशंगाबाद जिले के केसला ब्लाक  में आयोजित सातवें मीडिया संवाद में कही.  कॉर्पोरेटाईजेशन ऑफ मीडिया विषय पर उन्होंने कहा कि  भारतीय मीडिया राजनीति हस्तक्षेप से भले ही आज़ाद हो गया है लेकिन वह प्राफिट का कैदी बन गया है. अब प्राफिट ही उसका सबसे बड़ा उद्देश्य है. इसी के चलते मीडिया पर बिल्डरों, व्यापारियों, और बड़ी कंपनियों का दबदबा बढता जा रहा है.
श्री साईनाथ के मुताबिक अधिकतर समाचारपत्रों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की सूची में रियल एस्टेट और बिल्डरों के नाम देखे जा सकते हैं. उन्होंने दैनिक जागरण की सूची में दक्षिण एशिया के मेकडोनाल्ड प्रमुख का नाम होने की बात भी कही.
उन्होंने कहा हर मीडिया हाउस अधिक से अधिक प्राइवेट ट्रीटी रखना चाहता है. एक अखबार ने २४० कंपनियों के साथ प्राइवेट ट्रीटी कर रखी है. लेकिन जब शेयर मार्केट गिरने के कारण ऐसी ट्रीटी के चलते मीडिया हाउसिस को नुकसान होता है तो भी वह शेयर समझौते से बंधे होने के कारण खामोश रहता है और यह नहीं कह पाता कि कंपनी के शेयर का मूल्य घट रहा है.  नाम लिए बिना उन्होंने बताया कि इस मीडिया हाउस ने अपने यहाँ फतवा ज़ारी कर रखा है कि ‘रिसेशन’ शब्द का इस्तेमाल न करें. केवल ‘स्लो डाउन’ ही लिखें. रिसेशन केवल अमेरिका के लिए लिखें.

श्री साईनाथ के मुताबिक मीडिया हाउस खासकर चैनल बिजनेस लीडर अवार्ड या सेव टाइगर्स जैसे विज्ञापन कैम्पेन चलाने में अधिक दिलचस्पी दिखाते हैं क्योंकि इसमें उन्हें फायदा मिलता है. उन्होंने कहा हर दिन ४७ किसान आत्महत्या करते हैं लेकिन ऐसी स्टोरी कवर करने केवल कुछ पत्रकार पहुँचते हैं. लेकिन स्विट्जर्लैंड दावोस में इंडियन इकोनोमिक फोरम को कवर करने २०० पत्रकार पहुँचते हैं. क्योंकि सीआईआई या हीरो होंडा  जैसे ग्रुप इसे प्रायोजित करते हैं. मीडिया हितों के टकराव की बात करता है लेकिन समूचा मीडिया स्वयं हितों के टकराव से जकड़ा हुआ है. उन्होंने कहा यह दौर मीडिया के हायपर कमर्शियलाइजेशन का दौर है. जिस से बचने के लिए कुछ न कुछ नए तरीके ढूँढने होंगे.  अन्नू आनंद   





























































                 

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