tag:blogger.com,1999:blog-4074732043239288798.post9090269721010176677..comments2023-09-22T10:21:51.080-07:00Comments on अनसुनी आवाज: अख़बारों का भविष्यAnnu Anand अन्नू आनंदhttp://www.blogger.com/profile/16569014454732741730noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4074732043239288798.post-89454765806458568452008-12-23T04:23:00.000-08:002008-12-23T04:23:00.000-08:00आपका कहना बिल्कुल ठीक है. जब निष्पक्षता के साथ-साथ...आपका कहना बिल्कुल ठीक है. जब निष्पक्षता के साथ-साथ विश्वसनीयता की बात आती है तो अखबार को सबसे अच्छा माध्यम माना जा सकता है. परम्परागत पत्रकारिता अभी भी सबसे अच्छी पत्रकारिता है. कई बार ऐसा देखता हूँ कि टेलीविजन चैनल और इन्टरनेट साइट्स अपनी गलतियों पर खेद भी प्रकट नहीं करते. लेकिन अखबार आज भी अपनी गलतियों के प्रकाश में आनेपर खेद तो प्रकट करते हैं. <BR/><BR/>आपका यह कहना भी ठीक है कि भारतवर्ष में अखबारों के सर्कुलेशन में अभी विस्तार बाकी है. एक तरफ़ जहाँ टीवी न्यूज़ चैनल्स से लोगों का मोहभंग बढ़ता जा रहा है और बहुत बड़ी जनसंख्या के पास नेट की सुविधा नहीं है, समाचार माध्यम के रूप में अखबार का भविष्य उज्जवल है.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.com